जानिए सलमान खान के पिता सलीम खान की दूसरी पत्नी और उनकी सौतेली माँ हेलन की पूरी सच्चाई

हम यहां बात कर रहे हैं, सिनेमा जगत की ऐसी अदाकारा जिसने अपने डांस का लोहा पूरे सिनेमा जगत में मनवा दिया. और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हेलन वह अभिनेत्री हैं जो की पटकथा लेखक सलीम खान की दूसरी पत्नी के तौर पर जानी जाती है. हालांकि वे सलमान खान, सोहेल खान और अरबाज खान की सौतेली मां है फिर भी वह अपने इन तीनों बच्चों से बहुत प्यार करती हैं. सलमान खान के साथ वह फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम में’ उनकी मां का किरदार निभा चुकी है.

salman khan father
salim khan family

बता दे हेलन का जन्म 21 नवंबर 1939 को म्यांमार के बर्मा में हुआ था हेलन के वास्तविक पिता का नाम जैराग था. वही रिचर्ड्सन उनके सौतेले पिता थे, जो कि एक फ्रांसीसी एंग्लो इंडियन थे. और उनकी मां मलिन रिचर्ड्सन वर्मा की रहने वाली थी. हेलन का पूरा नाम हेलन रिचर्ड्सन खान था.

लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि बर्मा की रहने वाली यह लड़की आखिर भारत कैसे पहुंची? तो बता दें द्वितीय विश्व यु’द्ध में पति की मौ’त हो जाने के बाद मलिन, हेलेन एवं बाकी परिवार को लेकर बाहर चली गई. परिवार मुंबई में रहकर गुजर-बसर करने लगा. पूरे परिवार की जिम्मेदारी हेलन की मां के ऊपर थी. किसी हॉस्पिटल में हेलन की मां नर्स का काम करने लगी. लेकिन पूरे परिवार को इस नौकरी के सहारे चलाना मुश्किल हो रहा था, तब हेलेन ने फैसला किया कि वे स्कूल की पढ़ाई छोड़कर मां का हाथ बटाएंगी. इसके बाद हेलेन लोकप्रिय डांसिंग स्टार कुक्कू जो कि उनकी एक पारिवारिक मित्र भी थी, उन्होंने हेलन को एक फिल्म में डांसर के रूप में पेश किया लेकिन हेलन के कैरियर का मील का पत्थर साबित हुई फिल्म, ‘हावड़ा ब्रिज’ जिसका की एक गाना ‘मेरा नाम चिन चिन चू’ से उनका भाग्य बद

salman khan mother photo
salman khan mother

ल गया. यह गाना बहुत लोकप्रिय हुआ और इसी के साथ हेलन का डांस भी.

70 के दशक के अंत में हिंदी सिनेमा में डांस का पूरा परिदृश्य ही बदल गया था. उन्होंने अपने डांस का लोहा मनवाया. इस दौरान उन्होंने कई सारी फिल्मों में काम भी किया. और कई सारे पुरस्कारों से उन्हें नवाजा भी गया.

1981 में हेलेन ने बॉलीवुड अभिनेता पटकथा लेखक सलीम खान से शादी की. और उनकी दूसरी पत्नी बन गई.

1973 में मर्चेंट-इवोरी प्रोडक्शन ने हेलन-क्वीन ऑफ़ नॉच गर्ल नाम से उनके करियर पर 30 मिनट की डॉक्यूमेंट्री बनाई थी. 2009 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया.

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