2014 में आये कानून के बाद से किन्नर को भारत में अपना पहचान पत्र बनाने के लिए और समाज का हिस्सा होने का हक़ मिला। 2014 के बाद किन्नरों को भारत में मतदान करने का भी अधिकार मिला और सरकारी नौकरी के लिए भी किन्नर अब आवेदन कर सकते है।
कहते है कभी किसी किन्नर की बद्दुआ नहीं लेनी चाहिये क्योंकि एक किन्नर अपनी पूरी जिंदगी दुःख में ही निकाल देता है। और दुखी दिल वाले की मनोकामना जल्दी पूरी हो जाती है। बहुत कम लोग जानते है की किन्नर भी शादी करते है, लेकिन केवल एक रात के लिए। इसके पीछे के कारण क्या है? यह बहुत काम लोग जानते है।
हर एक किन्नर अपने देवता इरावन से एक रात के लिए शादी करता है। इरावन अर्जुन और नाग कन्या उल्पी की औलाद है। महाभारत के महायुद्ध से पहले पांडवो ने माँ काली के लिए एक पूजा रखवाई थी। इस पूजा को पूरा करने के लिए पांडवो की किसी एक संतान को अपनी बलि देनी होती है।
उस समय बलि के लिए कोई भी पांडव पुत्र आगे नहीं आया, बाद में इरावन ने आगे आकर अपनी बलि देने को कहा। लेकिन इरावन ने एक शर्त रखी। जिसमे उसने कहा की में बिना शादी किये नहीं बलि नहीं चढूँगा। जिसके बाद पांडवों के लिए परेशानी खड़ी हो गयी। क्योंकि कोई भी राजकुमारी एक दिन के लिए शादी करके विध्वा की जिंदगी नहीं बिताना चाहेगी।
जिसके बाद भगवान् श्री कृष्ण ने मोहिनी का रूप धारण करके इरावन से शादी करने का फैसला किया। मोहिनी के साथ इरावन ने शादी करके अगले दिन अपनी बलि चढ़वा दी। इरावन की बलि के बाद श्री कृष्ण ने विधवा बनकर शोक भी मनाया। इसी कारण किन्नर इरावन देवता को पूजते है और उनके साथ एक दिन की शादी करते है।