जीवन में उतार चढ़ाव तो हर दिन लगा रहता है कभी सुख आता है तो कभी दुख, लेकिन कहते है ना अगर कोई काम पूरे तन मन से किया जाए तो वो काम जरूर पूरा होता है। ऐसा ही काम राजस्थान की “उममूल खेर” ने किया है।
लेकिन बचपन से ही उम्मूल खेर का IAS बनने का सपना था, साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली उम्मूल के जीवन में काफी परेशानियां आयी लेकिन उम्मूल ने कभी हार नहीं मानी और अपनी लगन मेहनत से IAS बनने तक का सफ़र तय किया।
उम्मूल को बौन डिसऑर्डर की बीमारी थी जिसकी वजह से हड्डियां कमज़ोर हो जाती है इसी की वजह से उम्मूल की 28 साल की उम्र तक 15 बार हड्डियां भी टूट चुकी है।
पूरे जीवन संघर्ष में बिताए
उम्मूल का पूरा परिवार बचपन से ही आर्थिक तंगी में अपना गुजर बसर कर रहा था। इनके पिता सड़क पर ही ठेला लगाते थे। उम्मूल का पूरा परिवार निज़ामुद्दीन में रहता था, लेकिन साल 2001 में फुटपाथ पर बनी झुग्गियों को हटाए जाने के बाद इनका परिवार त्रिलोकपुरी चला गया और वहीं पर रहने लगे।
उम्मूल ज्यादा बड़ी भी नहीं हुई थी कि उनकी मां का देहांत हो गया। जिसके बाद मे उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली, सौतेली मां के साथ उम्मूल का अच्छा व्यहार नहीं बन पा रहा था। जिसकी वजह से रोजाना झगड़ा भी होता था।
IAS बनने के लगन में उम्मूल हमेशा पढ़ाई में ही मगन रहती थी, लेकिन उनकी सौतेली मां उनकी पढ़ाई के खिलाफ थी। वो बोलती थी कि यह पढ़ कर क्या करेगी, कुछ दिनों के बाद उम्मूल ने किराए पर रूम ले लिया और वही पर रहने लगी।
उम्मूल बताती है कि पढ़ाई और बाकी खर्च बच्चो को कोचिंग पढ़ा कर कमा लेती थी। जिससे उसका रोज का खर्चा चल जाता था, लेकिन उम्मूल ने IAS बनने को ठाना था जिसके लिए वो तैयारी में लगी रहती थी। अपने तमाम परेशानियों के बीच उम्मूल खूब मेहनत किया और पहली ही बार में 420 अंक प्राप्त करके आईएएस बनी।
विकलांग होने के बावजूद उम्मूल का आईएएस बनना आज की जेनरेशन के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। Prime Excel Media की टीम उम्मूल को सलाम करती है। जिन्होंने इतनी परेशानियों के बाद भी अपने सपनो को साकार किया ।