अन्तर्राष्ट्रीय कूटनीति में दोस्त और साझेदारियां बनती और बिगड़ती रहती है। जो की सिर्फ किसी भी देश के नफे नुकसान पर आधारित होती है। एक ऐसा भी समय था, जब 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था। उस समय अमेरिका और ब्रिटेन सहित दुनिया के तमाम देश भारत के खिलाफ हो गए थे। लेकिन उस समय रूस भारत का साथ देने वाला एक सच्चा मित्र था।
रूस वही देश है, जो उस टाइम भारत के लिए आधी दुनिया से लड़ने को तैयार था। और आजतक आजादी के बाद से यूनाइटेड नेशन में भारत के साथ हर मुद्दे पर कंदे से कंदा मिला कर खड़ा रहा। रूस ही एक मात्र ऐसा देश है जिसने भारत से दोस्ती निभाने के लिए, अपने नियम और प्रोटोकॉल भी तोड़ दिए। आज उसी रूस को भारत से बहुत बड़ी उम्मीद है।
सैन्य शक्ति के मामले में रूस आज भी अमेरिका से एक कदम आगे है। और किसी भी युद्ध में आज भी अमेरिका को हरा देने की हिम्मत रखता है।
लेकिन सैन्य शक्ति में सुपर पावर कहलाने वाला रूस, आर्थिक मोर्चे पर अमेरिका से बहुत पीछे है। रूस की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया में 11वें नंबर पर है।
ऐसे में एक तरफ अमेरिकी प्रतिबंध और दूसरी तरफ कोरोना संकट की दोहरी मार के कारण रूस की अर्थव्यवस्था मुसीबत में पड़ चुकी है। और कोरोना महामारी के कारण और खराब हो गयी।
एक समय था जब पूरी दुनिया में रूस के हथियार और लड़ाकू विमान का बोल बाला था। तब रूस अपने हथियार और लड़ाकू विमानों की बिक्री से ही काफी प्रॉफिट कमा लेता था। लेकिन अमेरिका ने उसके बाद रूस पर और रूस से हथियार खरीदने वाले देशो पर प्रतिबंध लगाना शुरू किया।
जिससे रूस की इकोनॉमी पीछे हो गयी। और आजतक अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण, यह कभी भी उभर नहीं सकी। ऐसे में रूस 5वीं और छटी पीढ़ी की टेक्नोलॉजी विकास और रिसर्च के लिए, भारत का सहयोग चाहता है।
दरअसल रूस की डिफेन्स वेबसाइट रुस्सियन थिंक टाइम में छपे इंटरव्यू में लिखा है की भारत को अपनी एयरफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए। जो सोर्स खरीदने है, उसके लिए रूस की Mic Corporation का मिथ 35 एक सही विकल्प होगा।
उन्होंने कहा की मिक कॉर्पोरेशन ये सभी लड़ाकू विमान मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनाने के लिए भी राजी है। साथ में लाइफटाइम मैंटेनस और टेक्निकल सपोर्ट भी भारत को अपने देश में ही मिल जायेगा। ताकि इन सभी लड़ाकू विमानों को मैंटेनस या अपग्रेड ले लिए। भारत से बाहर रूस में ना लाना पड़े।
आगे उस इंटरव्यू में कहा की रूस को इस समय बड़े रक्षा सौदे की बेहद जरूरत है। और दोनों देशो के अच्छे सम्बन्धों को देखते हुए, भारत को इस सौदे को मंज़ूरी दे देनी चाहिए। और उन्होंने यह भी कहा अगर भारत इस नाज़ुक समय में रूस का साथ दे देता है, तो दोनों देशों के सम्बन्ध बहुत अच्छे हो जायेंगे।
वैसे भारत कोनसा फाइटर जेट खरीदेगा, और कोनसा नहीं। यह तो भारतीय एयरफोर्स या डिफेन्स मिनिस्टर ही तय करेगा।
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